Sahara India Pariwar- सहारा इंडिया परिवार: एक विस्तृत जानकारी और इतिहास

Sahara India Pariwar- सहारा इंडिया परिवार: एक विस्तृत जानकारी और इतिहास
Sahara India Pariwar- सहारा इंडिया परिवार: एक विस्तृत जानकारी और इतिहास

Sahara India Pariwar: सहारा इंडिया परिवार एक भारतीय समूह है, जिसका हेडक्वार्टर उत्तर प्रदेश के लखनऊ में स्थित है। यह भारत की एक बहु-व्यवसायीक कंपनी है, जोकि कई सारे व्यवसायों में लगा हुई है। सहारा इंडिया परिवार वित्त, बुनियादी ढाँचा और आवास, रियल एस्टेट, खेल, बिजली, विनिर्माण, मीडिया और मनोरंजन, स्वास्थ्य सेवा, जीवन बीमा, इलेक्ट्रिकल वाहन (सहारा इवोल्स), अस्पताल, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, शैक्षिक संस्थान, ऑफ़लाइन ऑनलाइन शिक्षा (एडुंगुरू), खुदरा, ई-कॉमर्स (ऑनलाइन/ऑफ़लाइन शॉपिंग), आतिथ्य और सहकारी समिति जैसे व्यावसायिक क्षेत्रों का संचालन करता है। 

मालूम हो कि सहारा इंडिया परिवार की स्थापना सुब्रत रॉय सहारा (Subrata Roy Sahara) ने 1978 में की थी और यह एक समय भारत में दूसरा सबसे बड़ा नियोक्ता थी। हालांकि अब यह काफी हद तक बदल चुका है। ज्ञात हो कि यह समूह भारत में खेलों का एक प्रमुख प्रमोटर रहा है। सहारा इंडिया परिवार भारत की राष्ट्रीय क्रिकेट टीम के साथ ही साथ भारती की राष्ट्रीय हॉकी टीम और बांग्लादेश की राष्ट्रीय क्रिकेट टीम का शीर्षक प्रायोजक रहा है। इसके अलावा यह फ़ोर्स इंडिया फ़ॉर्मूला वन टीम और कई अन्य खेलों का भी शीर्षक प्रायोजक रहा है। ऐसे में आइए इसके कुछ व्यवसायों व इसके इतिहास के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं।

सहारा इंडिया परिवार की शुरुआत – Start of Sahara India Pariwar

सहारा इंडिया परिवार(Sahara India Pariwar), जोकि दुनिया का सबसे बड़ा परिवार कहा जाता था उसकी शुरुआत 1978 में हुई थी। सहारा इंडिया परिवार की सफलता की कहानी साल 1978 में गोरखपुर, उत्तर प्रदेश से शुरू हुई थी। इसकी शुरुआत किसी ओर ने नहीं बल्कि सुब्रत रॉय सहारा ने की थी, जोकि बिहार के अररिया जिले  में जन्मे थे। 

सुब्रत रॉय सहारा इंडिया परिवार के प्रबंध कार्यकर्ता (प्रबंध निदेशक) और चेयरमैन थे। उनका निधन बीते साल मुंबई के एक निजी अस्पताल में कार्डियोरेस्पिरेटरी अरेस्ट के कारण हो गया था। सुब्रत रॉय का निधन 75 साल की उम्र में 14 नवम्बर 2023 को हुआ था। हालांकि इस दौरान उन्होंने सहारा इंडिया परिवार को काफी बुलंदियों पर पहुंचाया। एक समय यह कंपनी भारत की सबसे बड़ी कम्पनी थी और इसका असर विश्व स्तर पर देखने को मिलता था। 

मालूम हो कि टाइम पत्रिका ने साल 2004 में, सहारा समूह को भारतीय रेलवे के बाद भारत में दूसरा सबसे बड़ा नियोक्ता घोषित किया था, जिससे आप इसके प्रभाव का अंदाजा लगा सकते हैं। इसके तहत समूह भारत भर में 5 हजार से अधिक प्रतिष्ठानों का संचालन किया जाता था। हालांकि अब कई बंद हो चुके हैं।एक समय इसमें कर्मचारियों की संख्या लगभग 12 लाख थी। 

बता दें कि सहारा की शुरुआत लघु बचत योजनाओं और गैर-बैंकिंग वित्तीय सेवाओं के साथ हुई थी। हालांकि धीरे-धीरे इसने कई अन्य व्यवसायों में अपनी पकड़ को और मजबूत बना लिया। सहारा इंडिया परिवार की शुरुआत करते समय इसके संस्थापक सुब्रत रॉय ने छोटे और मध्यम वर्ग के लोगों को ध्यान में रखा, ताकि उन्हें भी पारंपरिक बैंकिंग सेवाओं का लाभ मिल सके। इसके बाद सहारा ने अपने व्यवसाय का विस्तार करते हुए इसे रियल एस्टेट, इंफ्रास्ट्रक्चर, मीडिया और मनोरंजन, हेल्थकेयर, होटल इंडस्ट्री, और खेल जगत तक पहुंचाया। 

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सहारा इंडिया परिवार की चुनौतियां – Challenges of Sahara India Pariwar

इसमें कोई दोराय नहीं है कि सुब्रत रॉय द्वारा शुरू की गई सहारा इंडिया परिवार (Sahara India Pariwar)ने कई क्षेत्रों में काफी सफलता हासिल की। हालांकि इसे कई कानूनी और वित्तीय चुनौतियों का भी सामना करना पड़ा है। मालूम हो कि 2010 में सहारा को सेबी (SEBI) (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड) द्वारा जांच का सामना करना पड़ा था और इस दौरान इसपर निवेशकों के पैसे को गलत तरीके से वसूल करने के आरोप लगे थे। 

SEBI ने सहारा इंडिया परिवार पर आरोप लगाया था कि समूह ने अवैध रूप से निवेश योजनाएं चलाईं और निवेशकों से बड़ी रकम जमा की। इसके चलते सहारा के सम्मान और प्रतिष्ठा को काफी धक्का लगा। यही नहीं बल्कि इसके संस्थापक सुब्रत रॉय को भी कानूनी कार्यवाही का सामना करना पड़ा। साल 2012 में भारत के सर्वोच्च न्यायालय (सुप्रीम कोर्ट) ने सहारा को 24 हजार करोड़ रुपये निवेशकों को लौटाने का आदेश दिया।

यह होने के दो साल बाद यानी 2014 में सुब्रत रॉय सहारा को जेल भी जाना पड़ा और वह करीब दो साल तक जेल में ही बंद रहे। इन सब चीजों की वजह से सहारा इंडिया परिवार की वित्तीय स्थिति काफी कमजोर हो गई और इसके बाद समूह ने कई संपत्तियों को बेचना शुरू कर दिया। 

मालूम हो कि सहारा ने साल 2003 में सहारा एयरलाइंस की शुरुआत की थी, जोकि उस समय पर भारत की प्रमुख एयरलाइन थी। मगर सहारा इंडिया परिवार ने वित्तीय स्थिति कमजोर होने की वजह से साल 2007 में इसे जेट एयरवेज को बेच दिया था। इसके बाद से अभी तक सहारा को काफी नुकसान हुआ है। 

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सहारा का सामाजिक योगदान – Social Contribution of Sahara

Social Contribution of Sahara
Social Contribution of Sahara

बता दें कि सहारा इंडिया परिवार ने अपने व्यवसायों का विस्तार करने के साथ ही बड़े पैमाने पर समाज सुधार में योगदान दिया है। सहारा वेलफेयर फाउंडेशन के तहत सहारा इंडिया परिवार ने शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार जैसे क्षेत्रों में काफी कार्य किया। सहारा के सामाजिक और सांस्कृतिक योगदान ने इसे सिर्फ एक व्यापारिक इकाई नहीं, बल्कि एक जनसेवी संगठन के रूप में भी स्थापित किया। मालूम हो कि सहारा ने समाज सेवा के कई कार्य किए और इसके समाज सेवा की आज भी चर्चाएं की जाती हैं। हालांकि इसके कुछ गलत कामों में इसी छवि को काफी खराब किया। 

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निष्कर्ष-Conclusion

सुब्रत रॉय द्वारा शुरू की गई सहारा इंडिया परिवार(Sahara India Pariwar) ने काफी कामयाबी हासिल की और काफी नाम व पैसा कमाया। लेकिन वर्तमान समय में सहारा को कानूनी और वित्तीय दोनों तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन इसका ऐतिहासिक योगदान और इसके द्वारा बनाए गए विभिन्न उद्योग क्षेत्रों में इसकी उपस्थिति इसे भारत के प्रमुख संगठनों में स्थान दिलाती है। अगर सहारा इंडिया परिवार को इन चुनौतियों का सामना न करना पड़ता तो आज के समय यह दुनिया के सबसे समूहों में टॉप पर भी हो सकती थी। 

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सहारा इंडिया परिवार को लेकर अक्सर पूछे जाने वाले सवाल – Frequently Asked Questions about Sahara India Pariwar

प्रश्न: सहारा इंडिया परिवार की स्थापना किसने की थी?

उत्तर: सहारा इंडिया परिवार की स्थापना सुब्रत रॉय सहारा ने 1978 में की थी। 

प्रश्न: सहारा इंडिया परिवार के संस्थापक कौन हैं? 

उत्तर: सहारा इंडिया परिवार के संस्थापक सुब्रत रॉय सहारा हैं, जिन्होंने 1978 में इसकी शुरुआत की थी।

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