
भारत जैसे विकासशील देश में गरीबी एक प्रमुख समस्या रही है। गाँवों में रोजगार के अभाव, कृषि पर निर्भरता और मौसमी बेरोज़गारी ने ग्रामीण जनता की आर्थिक स्थिति को कमजोर किया। ऐसे में सरकार ने गरीबों को रोज़गार और सम्मानजनक जीवन का अवसर देने के लिए एक ऐतिहासिक कदम उठाया “महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा)”। यह योजना न केवल ग्रामीण भारत की आर्थिक स्थिति को सशक्त बनाती है, बल्कि “आत्मनिर्भर भारत” के सपने को भी साकार करती है।
Manrega Yojna ने लाखों परिवारों को रोज़गार की सुरक्षा दी है और ग्रामीण क्षेत्रों में विकास की नई धारा प्रवाहित की है। इस योजना ने गरीबी उन्मूलन के साथ-साथ सामाजिक समानता, महिला सशक्तिकरण और पर्यावरण संरक्षण को भी बढ़ावा दिया है। आज यह कार्यक्रम ग्रामीण भारत की रीढ़ बन चुका है, जो देश की अर्थव्यवस्था को जमीनी स्तर से मज़बूती प्रदान कर रहा है।
Manrega Yojna योजना क्या है?
मनरेगा (MGNREGA) का पूरा नाम है “Mahatma Gandhi National Rural Employment Guarantee Act”। यह अधिनियम 7 सितंबर 2005 को संसद द्वारा पारित किया गया और 2 फरवरी 2006 को लागू किया गया। इसका उद्देश्य ग्रामीण परिवारों को प्रति वर्ष कम से कम 100 दिन का मज़दूरी कार्य उपलब्ध कराना है, जिससे उन्हें न्यूनतम आय की गारंटी मिल सके।
यह योजना “काम का अधिकार” (Right to Work) की अवधारणा पर आधारित है, यानी हर ग्रामीण परिवार को यदि काम चाहिए, तो सरकार उन्हें काम देने के लिए बाध्य है। अगर काम नहीं दिया जाता, तो सरकार को बेरोज़गारी भत्ता (Unemployment Allowance) देना पड़ता है।
| पनाम | महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (Mahatma Gandhi National Rural Employment Guarantee Act – MGNREGA) |
| लागू होने की तिथि | 2 फरवरी 2006 |
| मुख्य उद्देश्य | प्रत्येक ग्रामीण परिवार को प्रति वर्ष कम से कम 100 दिनों का अकुशल (Unskilled) मज़दूरी कार्य उपलब्ध कराना |
| लाभार्थी | ग्रामीण क्षेत्र के 18 वर्ष या उससे अधिक आयु के वयस्क सदस्य |
| कार्य की प्रकृति | जल संरक्षण, सड़क निर्माण, वृक्षारोपण, तालाब खुदाई, सिंचाई आदि जैसे सार्वजनिक कार्य |
| रोज़गार की गारंटी | यदि 15 दिनों के भीतर काम न दिया जाए तो बेरोज़गारी भत्ता देना अनिवार्य है |
| महिला भागीदारी | कुल रोजगार का कम से कम 33% हिस्सा महिलाओं के लिए आरक्षित है |
Manrega Yojna का उद्देश्य
मनरेगा का मुख्य लक्ष्य केवल रोजगार देना नहीं है, बल्कि ग्रामीण विकास और गरीबी उन्मूलन को एक साथ साधना है। इस योजना के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं:
- रोजगार की गारंटी
मनरेगा का मुख्य उद्देश्य है कि हर ग्रामीण परिवार को साल में कम से कम 100 दिन का मज़दूरी कार्य मिले। इससे गाँव के लोगों को अपने घर के पास ही रोजगार का अवसर मिलता है और पलायन कम होता है। - गरीबी में कमी
यह योजना ग्रामीण गरीबों को नियमित आमदनी का साधन देती है। इससे उनकी आर्थिक स्थिति सुधरती है और वे अपने परिवार की ज़रूरतें पूरी कर पाते हैं। - ग्रामीण ढांचे का विकास
मनरेगा के तहत गाँवों में सड़क, तालाब, कुएँ, नहर और जल संरक्षण जैसे काम कराए जाते हैं। इनसे गाँव का इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत होता है और जीवन स्तर बेहतर बनता है। - महिलाओं को सशक्त बनाना
इस योजना में एक तिहाई रोजगार महिलाओं के लिए आरक्षित किया गया है। इससे महिलाएं आत्मनिर्भर बनती हैं और समाज में उनका सम्मान बढ़ता है। - स्थायी विकास
मनरेगा के तहत जल-संरक्षण, मिट्टी-संरक्षण और वृक्षारोपण जैसे कार्य किए जाते हैं। ये कार्य पर्यावरण को संतुलित रखते हैं और लंबे समय तक विकास को बनाए रखते हैं।
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Manrega Yojna के अंतर्गत किए जाने वाले कार्य
Manrega Yojna के तहत ऐसे कार्यों को प्राथमिकता दी जाती है जो ग्रामीण ढांचे को मज़बूत बनाएं और पर्यावरण की रक्षा करें। मुख्य कार्य इस प्रकार हैं:
- जल संरक्षण और सिंचाई से जुड़ी परियोजनाएँ।
- तालाब, चेक डैम, नहर और कुएँ का निर्माण।
- ग्रामीण सड़कें और पुलिया निर्माण।
- वृक्षारोपण और पर्यावरण संरक्षण के कार्य।
- पशुपालन और कृषि से जुड़ी सुविधाएँ।
- पंचायत भवन, आंगनवाड़ी केंद्र, और ग्रामीण विद्यालयों की मरम्मत।
- मिट्टी सुधार, खेत संरक्षण, और भूमि विकास।
Manrega Yojna के लिए पात्रता (Eligibility)
Manrega Yojna का लाभ लेने के लिए कुछ आवश्यक शर्तें हैं:
- आवेदक की आयु:
मनरेगा योजना के तहत आवेदन करने वाले व्यक्ति की उम्र कम से कम 18 वर्ष या उससे अधिक होनी चाहिए। इससे केवल वयस्क व्यक्तियों को ही रोजगार का अवसर मिलता है। - निवास:
आवेदक ग्रामीण क्षेत्र का स्थायी निवासी होना चाहिए। यह योजना खास तौर पर गाँवों में रहने वाले बेरोज़गार लोगों के लिए बनाई गई है। - कार्य की प्रकृति:
मनरेगा के तहत केवल अकुशल (Unskilled) श्रमिक कार्यों में ही रोजगार दिया जाता है, जैसे तालाब खुदाई, सड़क निर्माण, वृक्षारोपण, या जल-संरक्षण के कार्य। - परिवार पंजीकरण:
आवेदक के परिवार को ग्राम पंचायत में जॉब कार्ड के लिए पंजीकरण कराना आवश्यक है। यह जॉब कार्ड मनरेगा के तहत काम पाने का आधिकारिक प्रमाण होता है।
मनरेगा जॉब कार्ड
मनरेगा के अंतर्गत काम करने के लिए जॉब कार्ड अनिवार्य होता है। यह कार्ड ग्रामीण परिवार के सभी वयस्क सदस्यों के नाम के साथ पंचायत द्वारा जारी किया जाता है। इसमें काम के घंटे, कार्यस्थल और मजदूरी का पूरा ब्यौरा दर्ज किया जाता है।
जॉब कार्ड बनवाने की प्रक्रिया:

- आवेदन ग्राम पंचायत में जमा करें:
आवेदक को अपनी ग्राम पंचायत में जाकर मनरेगा जॉब कार्ड के लिए आवेदन पत्र भरना होता है। आवेदन पत्र पंचायत कार्यालय या मनरेगा वेबसाइट से प्राप्त किया जा सकता है। - पहचान पत्र और निवास प्रमाण पत्र संलग्न करें:
आवेदन के साथ आधार कार्ड, राशन कार्ड या वोटर आईडी जैसे पहचान प्रमाण पत्र, और बिजली बिल या ग्राम पंचायत प्रमाण पत्र जैसे निवास प्रमाण पत्र लगाना आवश्यक है। ये दस्तावेज़ आवेदक की पहचान और ग्रामीण निवास की पुष्टि करते हैं। - सत्यापन के बाद 15 दिनों में जॉब कार्ड जारी किया जाता है:
ग्राम पंचायत आवेदन की जांच और सत्यापन करने के बाद 15 कार्य दिवसों के भीतर जॉब कार्ड जारी करती है। यह कार्ड परिवार के नाम पर बनाया जाता है और उस पर सभी पात्र सदस्यों के नाम दर्ज होते हैं। - जॉब कार्ड मिलने के बाद 15 दिनों में रोजगार उपलब्ध कराया जाता है:
जॉब कार्ड जारी होने के बाद यदि परिवार रोजगार की मांग करता है, तो पंचायत को 15 दिनों के भीतर काम देना अनिवार्य है। यदि समय पर काम नहीं मिलता, तो मजदूर को बेरोज़गारी भत्ता दिया जाता है।
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Manrega Yojna के लाभ

Manrega Yojna के लाभ ग्रामीण भारत के सामाजिक और आर्थिक विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैं। इस योजना ने न केवल गरीबों को रोजगार उपलब्ध कराया है, बल्कि गाँवों के बुनियादी ढांचे और पर्यावरणीय स्थिति में भी सुधार किया है।
- ग्रामीण रोजगार में वृद्धि:
मनरेगा ने गाँवों में लाखों लोगों को स्थायी और स्थानीय रोजगार उपलब्ध कराया है। इससे ग्रामीण मजदूरों को अपने गाँव में ही काम मिलने लगा और बेरोज़गारी दर घटी। - गरीबी में कमी:
इस योजना के माध्यम से गरीब परिवारों की आय में बढ़ोतरी हुई है। नियमित मजदूरी से परिवारों की आर्थिक स्थिति सुधरी और वे बुनियादी जरूरतें पूरी कर पा रहे हैं। - कृषि उत्पादकता में सुधार:
मनरेगा के तहत किए गए जल संरक्षण, तालाब खुदाई और भूमि विकास कार्यों से खेती उपजाऊ बनी है। इससे किसानों की पैदावार बढ़ी और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बल मिला। - महिला सशक्तिकरण:
मनरेगा में महिलाओं की भागीदारी लगभग 45-50% तक है। इससे महिलाएं आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनीं और समाज में सम्मानजनक स्थान प्राप्त किया। - ग्रामीण पलायन में कमी:
गाँवों में रोजगार मिलने से लोगों का शहरों की ओर पलायन घटा है। अब ग्रामीण अपने घर-परिवार के पास रहकर ही जीविका चला सकते हैं। - सामुदायिक संपत्ति निर्माण:
मनरेगा के तहत बने तालाब, सड़कें, स्कूल और भवन गाँवों की स्थायी संपत्ति बन गए हैं। इनसे गाँव का बुनियादी ढांचा मजबूत हुआ और विकास को गति मिली। - पर्यावरणीय संतुलन:
इस योजना में वृक्षारोपण, जल-संरक्षण और मिट्टी-संरक्षण जैसे कार्यों को प्राथमिकता दी जाती है। इनसे पर्यावरण का संतुलन बना रहता है और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव कम होते हैं।
निष्कर्ष
Manrega Yojna (मनरेगा योजना) ने भारत के ग्रामीण समाज को एक नई दिशा दी है। इसने गरीबों को न केवल रोजगार दिया, बल्कि उन्हें आत्मसम्मान और आत्मनिर्भरता का अहसास कराया। आज लाखों परिवार इस योजना के माध्यम से अपने बच्चों को शिक्षित कर रहे हैं, अपने घर सुधार रहे हैं और जीवन की बुनियादी ज़रूरतें पूरी कर पा रहे हैं। साथ ही, यह योजना ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाते हुए सामाजिक समानता, महिला सशक्तिकरण और पर्यावरण संरक्षण को भी प्रोत्साहित कर रही है, जिससे गाँवों का समग्र विकास सुनिश्चित हो रहा है।
(FAQs): Manrega Yojna
मनरेगा योजना क्या है?
मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) एक सरकारी योजना है जो ग्रामीण परिवारों को साल में कम से कम 100 दिन का रोजगार सुनिश्चित करती है।
मनरेगा का लाभ कौन ले सकता है?
इस योजना का लाभ 18 वर्ष या उससे अधिक आयु के ग्रामीण क्षेत्र के वयस्क नागरिक उठा सकते हैं, जिन्होंने ग्राम पंचायत में जॉब कार्ड बनवाया हो।
मनरेगा के तहत मजदूरी कितनी मिलती है?
मजदूरी दर हर राज्य में अलग-अलग होती है। उदाहरण के लिए, बिहार में लगभग ₹230 प्रतिदिन और केरल में ₹320 प्रतिदिन तक मिलती है।
मनरेगा का भुगतान कैसे किया जाता है?
मजदूरी का भुगतान सीधे बैंक या डाकघर खाते में डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) के माध्यम से किया जाता है, जिससे पारदर्शिता बनी रहती है।
मनरेगा में महिलाओं की भागीदारी कितनी है?
मनरेगा में महिलाओं को विशेष प्राथमिकता दी गई है। योजना के तहत कम से कम 33% रोजगार महिलाओं के लिए आरक्षित है, जिससे उनका सशक्तिकरण बढ़ा है।


